नाग पंचमी हिंदू धर्म का एक बड़ा त्योहार है। यह त्योहार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। अँग्रेज़ी महीने के हिसाब से यह जुलाई मध्य या अगस्त प्रथम साप्ताह में आता है। इस दिन भगवान शंकर और नाग/ साँप देवता की पूजा की जाती है और उन्हे दूध से नहलाया जाता है ताकि उनके परिवारों को सांपों के खतरे से मुक्ति मिल सके। कहीं-कहीं उन्हे दूध पिलाया भी जाता है। हिंदू ग्रंथों में इस दिन का बहुत बड़ा महत्व माना गया है इस दिन आठ नाग या अष्टनाग की पूजा की जाती है । ये आठ नाग या अष्टनाग निम्न है वासुकी, कालिया, तक्षक, ऐरावत, धृतराष्ट्र, मनिभद्रक, धनंजय और कार्कोटक। यह त्योहार भारत, नेपाल और जहाँ हिंदू धर्म के अनुयायी रहते है वहाँ मनाया जाता है।
इस दिन भगवान शिवऔर सांपों की पूजा दूध, मिठाई, फूल, दीपक और कहीं-कहीं बलि के साथ की जाती है। चांदी, पत्थर, लकड़ी या चित्रों से बने नाग या नाग देवता को पहले पानी और दूध से नहलाया जाता है। फिर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन उपवास भी रखा जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इस दिन कई स्थानों पर असली साँपों की पूजा की जाती है और मेले लगते हैं। देश के कुछ क्षेत्रों में दूध में मिशरी, चावल के हलवे के साथ प्रसाद चढ़ाया जाता है। एक विशेष कमल के फूल को चाँदी के कटोरे में रख चढ़ाया जाता है।
नाग पंचमी को भर्तृहरि पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है जब भाई के साथ महिलाएँ नाग देवता प्रार्थना करती हैं ताकि उनके भाइयों की रक्षा हो और साँप के काटने के कारण पीड़ित या मरें नहीं।
नाग पंचमी को कुछ हिस्सों में विश्ररी या बिश्री पूजा के रूप में भी मनाया जाता है और विश्ररी या बिश्री का अर्थ "विष" है। विष का सीधा संबंध भगवान शिव और साँप से है। भगवान शिव का एक नाम विषधर भी है, कहा जाता है समुद्र मंथन के समय मंथन से निकले विष को भगवान विष ने अपने गले में धारण कर लिया था तब से उन्हे विषधर कहा जाता है।
भारत में, सांपों को इतना महत्व और सम्मान में दिया जाता है कि उनके पूजन के लिए मंदिर भी बनाए गए हैं। उदाहरण स्वरूप मन्नरसला नागराज मंदिर (केरल), कुक्के सुब्रमानया मंदिर (कर्नाटक), भुजंग नाग मंदिर (गुजरात), नागनाथ स्वामी मंदिर (तमिलनाडु), नागराज मंदिर (तमिलनाडु), घाटी सुब्रमानया मंदिर (बेंगलूरु), अगसनहल्ली नागप्पा मंदिर (कर्नाटक) और शेषनाग मंदिर, (जम्मू-कश्मीर)।
नाग पंचमी के दिन कुछ काम ना करने की सलाह दी जाती है जैसे की ज़मीन की खुदाई नही करनी चाहिए, सुई में धागा नही डालना चाहिए है।
----------IN ENGLISH---------
Nag Panchami is a major festival of Hinduism. This festival is celebrated on the fifth day of Shukla Paksha of Shravan month. Depending on the English month, it falls in the middle of July or the first week of August. On this day, Lord Shankar and the serpent/snake deity are worshipped and bathed with milk to relieve their families from the threat of snakes. They are also given milk at some places. This day is considered to be of great importance in Hindu texts, eight snakes or Ashtanga are worshipped on this day. These eight nagas or ashtanga are Vasuki, Kalia, Takshak, Airavat, Dhritarashtra, Manibhadrak, Dhananjaya and Karkotak. This festival is celebrated in India, Nepal and where followers of Hinduism live.
On this day, Lord Shiva and snakes are worshipped with milk, sweets, flowers, lamps and sometimes sacrifices. The serpent or serpent god made of silver, stone, wood or paintings is first bathed with water and milk. Then they are worshipped. Fasting is also observed on this day and food is given to Brahmins. On this day, real snakes are worshipped in many places and fairs are held. In some areas of the country, milk is offered with sugar candy, rice pudding. A special lotus flower is offered in a silver bowl.
Nag Panchami is also celebrated as Bhartrihari Panchami when women along with brothers pray to the Nag Devta to protect their brothers and not suffer or die due to snake bite.
Nag Panchami is also celebrated in some parts as Vishri or Bishri Puja and Vishri or Bishri means "poison". The venom is directly related to Lord Shiva and the snake. Lord Shiva also has a name poison, it is said that the poison emanating from the churn at the time of the churning of the ocean was carried by Lord Venom in his neck, since then he is called poison.
In India, snakes are given so much importance and respect that temples are also built for their worship. For example, Mannarasala Nagaraja Temple (Kerala), Kukke Subramanya Temple (Karnataka), Bhujang Nag Temple (Gujarat), Nagnath Swamy Temple (Tamil Nadu), Nagaraja Temple (Tamil Nadu), Ghati Subramanya Temple (Bengaluru), Agasanahalli Nagappa Temple (Karnataka) and Sheshnag Temple, (Jammu and Kashmir).
It is advisable not to do any work on the day of Nag Panchami, such as one should not dig the ground, thread should not be put in the needle.
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