TDS literally means completely dissolved cold substance, that is, a matter which dissolves in water. These substances are calcium, magnesium chloride, magnesium sulfate etc. They are filtered in the water we extract from inside the ground, but in surface water such as river/stream or where the water remains stagnant (lake/pond/reservoir), they are found in solid form in the water. The amount of TDS in water is measured in milligrams/litre or per million pieces. Salinity in water is mainly due to magnesium chloride, calcium and magnesium sulfate. Despite the amount of work, some dissolved solids are also very dangerous, such as arsenic, nitrate and fluoride. Some quantity of substances found in water is fixed.
The World Health Organization has set certain standards in relation to water. Among them, BIAS 10500-161 is applicable in our country. Drinking water has become so polluted in our country that the quantity of substances like TDS has become much higher than the prescribed standards, due to which the standard limit of these substances has been increased. Generally, TDS per unit volume is expressed in units of mg/litre. It is also expressed in parts per million. If it exceeds this quantity then it becomes tasteless. As per the rules of WHO standard, 100-150 TDS water has been improved for drinking. Water with zero TDS cannot be considered right for drinking.
This is the TDS WATER Chart of value
Image source: http://water-purifiers.com/
The TDS device is commonly used to see how pure or impure the drinking water is. It also measures the level of impurities in water. This device also shows how many chemical impurities are in the water, depending on the standard level of these impurities, it has been described in many ways. You should also check the TDS standard quantity of RO or UV installed in your house to see if it meets the standard.
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======= IN HINDI =======
टीडीएस का शाब्दिक अर्थ है पूर्णतः घुले हुए ठोंस पदार्थ अर्थात वो पदार्थ जो पानी में घुलित होते है | ये पदार्थ हैं कैल्शियम, मैग्नीशियम क्लोराइड मैग्नीशियम सल्फेट आदि हैं | जो पानी हम जमीं के अंदर से निकालते है उसमे ये छन जाते हैं लेकिन सतह के पानी जैसे की नदी/धरा या जहाँ पानी ठहरा रहता है (झील/तालाब/जलाशय) वहां ये पानी में ठोस रूप में मिले होते हैं | पानी में टीडीएस की मात्रा को मिलीग्राम/ लीटर या प्रति मिलियन टुकड़े मापा जाता है | पानी में खारापन मुख्यतः मैग्नीशियम क्लोराइड, कैल्शियम और मैग्नीशियम सल्फेट की वजह से होता है | काम मात्रा के बावजूद कुछ घुले हुए ठोस पदार्थ भी बहुत खतरनाक होते हैं जैसे कि मसलन आर्सोनिक, नाइट्रेट और फ्लोराइड | पानी में मिले पदार्थों की कुछ मात्रा तय है | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पानी के अनुरूप कुछ मानक तय किये हैं | उनमे से हमारे देश में बी आई अस १०५००-१९९१ लागू है | हमारे यहाँ पीने के पानी इतना दूषित हो गया है की इसमें टीडीएस जैसे पदार्थों की मात्रा तय मानकों से बहुत ज्यादा हो गई है जिससे के इन पदार्थों की मानक सीमा को बढ़ाया गया है | सामान्यतः टीडीएस की प्रति इकाई मात्रा मिलीग्राम/लीटर की इकाईयों में व्यक्त की जाती हैं. इसे प्रति मिलियन भाग में भी व्यक्त किया जाता है.| अगर यह इस मात्रा से ज्यादा हो जाता है तो यह बेस्वाद हो जाता है | WHO मानक के नियमानुसार १००-१५० टीडीएस के पानी को पिने के लिए सुध मन गया है | जीरो टीडीएस वाला पानी पिने के लिए सही नहीं माना जा सकता है |
यह टीडीएस वॉटर चार्टकी मानकता है
टीडीएस यंत्र का प्रयोग सामन्यतः ये देखने के लिए किया जाता है कि पीने वाला पानी कितना शुद्ध या अशुद्ध है | इससे पानी में अशुद्धियों कस स्तर भी मापा जाता है | यह यंत्र ये भी बताता है कि पानी में कितनी रासायनिक अशुद्धियाँ है इस अशुद्धियों के मानक स्तर के आधार पर इसे कई तरह से बता गया है | आप भी अपने घर में लगे आर ओ या यु वी की टीडीएस मानक मात्रा जाँच लें कि वो मानक के अनुरूप है की नहीं |
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