Free Space Quantum Communication is a way of communication that can be done on photons of light. Through this technology, you can send your message in such formats i.e. text, photo and video. It is next to impossible to hack the message. Where nowadays message is being sent through encryption. This is more secure than encryption. Free Space Quantum Communication technology is known as Quantum Key Distribution. In this technology, a message sends through a special type of transmitter and on the same side special receiver only can receive this message.
ISRO had made its trial first time in the Country and the trail has been done at Space Application Center, Ahmedabad. This trail was done inside the campus only up to covering a distance of 300 meters. This trail was done at night, not to face any sunlight and pollution.
ISRO has made a homemade NAVIC receiver with up-gradation to receive this communication and reflect the same. If ISRO gets success to develop it on a large scale then in a future message which sends from space and our satellites with be received in a short time with more security. No other country hack this.
ISRO has made a video call on this Free-Space Quantum Communication trail. There is no technology in the world that can hack this. The success of this trial shows that in the coming future ISRO will use Satellite-Based Quantum Communication - SQBC. As of now, ISRO is trying to make one more trial for this, its own two ground stations.
In this technology, the sender will send a key to the receiver (it is known as Quantum Key Distribution). Once the receiver gives input of this key then only he will able to receive the message. If anyone will try to change the key message will destroy. If anyone tried to hack this message with another device then the sender and receiver will get an alert for this. That's why is being said an unhackable technology.
American Scientist "David Wainlend" and France Scientist "Serz Haroach" has got the noble prize in 2012 to invent quantum Particles.
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फ्री स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशन संचार का एक तरीका है जो प्रकाश के फोटोन पर किया जा सकता है। इस तकनीक के माध्यम से, आप अपने संदेश को ऐसे प्रारूपों यानी टेक्स्ट, फोटो और वीडियो में भेज सकते हैं। इसमें संदेश को हैक करना असंभव है। आजकल के मैसेज एन्क्रिप्शन के जरिए भेजे जा रहे हैं। यह एन्क्रिप्शन की तुलना में अधिक सुरक्षित है। मुक्त अंतरिक्ष क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी को क्वांटम कुंजी वितरण के रूप में जाना जाता है। इस तकनीक में, एक संदेश एक विशेष प्रकार के ट्रांसमीटर के माध्यम से भेजता है और दूसरी तरफ विशेष रिसीवर केवल इस संदेश को प्राप्त कर सकता है।
ISRO ने पहली बार देश में अपना ट्रायल किया और यह स्पेस अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर में किया गया है। यह ट्रायल केवल 300 मीटर की दूरी तय करने के लिए परिसर के अंदर ही किया गया था| यह ट्रायल रात में किया गया था, ताकि किसी धूप और प्रदूषण का सामना न करना पड़े।
ISRO ने इस संचार को प्राप्त करने और उसी को प्रतिबिंबित करने के लिए अपग्रेडेशन के साथ एकस्वनिर्मित NAVIC रिसीवर बनाया है। यदि ISRO को बड़े पैमाने पर इसे विकसित करने में सफलता मिलती है तो भविष्य के संदेश में जो अंतरिक्ष से और हमारे उपग्रहों को कम समय में अधिक सुरक्षा के साथ भेजता है। कोई दूसरा देश इसे हैक नहीं करता है।
इसरो ने इस फ्री-स्पेस क्वांटम कम्युनिकेशनट्रायल पर एक वीडियो कॉल की है। अभी तक दुनिया में कोई ऐसी तकनीक नहीं है जो इसे हैक कर सके। इस परीक्षण की सफलता से पता चलता है कि आने वाले भविष्य में इसरो सैटेलाइट आधारित क्वांटम संचार - एसक्यूबीसी का उपयोग करेगा। अब तक, इसरो इसके लिए एक और परीक्षण करने की कोशिश कर रहा है, जो की दो ग्राउंड स्टेशन के बीच हैं।
इस तकनीक में, प्रेषक रिसीवर को एक कुंजी भेजेगा। एक बार जब रिसीवर इस कुंजी का इनपुट देता है, तभी वह संदेश प्राप्त कर सकेगा। यदि किसी को बदलने की कोशिश करेंगे तो मुख्य संदेश नष्ट हो जाएगा। अगर किसी ने इस मैसेज को दूसरे डिवाइस से हैक करने की कोशिश की तो इसके सेंडर और रिसीवर दोनों को अलर्ट मिलेगा। इसलिए इसे एक हैक ना करने वाली तकनीक कहा जा रहा है।
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